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किसी की : किन्हीं की / ज्ञानेन्द्रपति

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किसी की हुई रहती है पौ-बारह
किन्हीं की पौ फटती ही नहीं
तमिस्राएँ उनकी आकाँक्षाओं के जवाब में
उतरती हैं उदयाचल से