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किसी के साथ अब साया नहीं है / शीन काफ़ निज़ाम
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					किसी के साथ अब साया नहीं है 
कोई भी आदमी पूरा नहीं है 
मिरे अंदर जो अंदेशा नहीं है 
तो क्या मेरा कोई अपना नहीं है 
कोई पत्ता कहीं पर्दा नहीं है
तो क्या अब दश्त में दरिया नहीं है 
तो क्या अब कुछ भी दरपर्दा नहीं है 
ये जंगल है तो क्यूँ ख़तरा नहीं है 
कहाँ जाती है बारिश की दुआएँ
शज़र पर एक भी पत्ता नहीं है 
दरख़्तों पर सभी फल हैं सलामत
परिंदा क्यूँ कोई ठहरा नहीं है 
खिला है फूल हर गमले में लेकिन 
कोई चेहरा तरो ताज़ा नहीं है 
धुआँ ही है फक़त गाड़ी के पीछे
यहाँ क्या एक भी बच्चा नहीं है 
समझना है तो दीवारों से समझो
हमारे शहर में क्या-क्या नहीं है
	
	