भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

किसी ख़ामोश कहानी की तरह रहता है / नवीन जोशी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

किसी ख़ामोश कहानी की तरह रहता है,
दर्द हर आँख में पानी की तरह रहता है।

मैं महकता हूँ हर इक शब कि मेरे सीने में,
कोई ग़म रात की रानी की तरह रहता है

एक शीशा कि जिसे तोड़ के जोड़ा न गया,
एक टुकड़ा जो निशानी की तरह रहता है।

ये ही मौजों का सबब ये ही सफ़ीनों की निदा,
वक़्त हर शय में रवानी की तरह रहता है।

शौक़ बचपन का वो पचपन में बरत कर देखो,
ये बुढ़ापे में जवानी की तरह रहता है।

मेरी तहरीर का कातिब मैं नहीं वो है जो,
मेरे लफ़्ज़ों में मआनी की तरह रहता है।