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किसी फ़िल्म की नायिका की तरह / ऋतु त्यागी
Kavita Kosh से
"भाग गई
उम्र के सोलहवें वसंत को बेलौस जीती
और
किसी फ़िल्म की नायिका की तरह
दिखने की कोशिश करती
दो लड़कियाँ"
आदर्शों की बागडोर थामे
किसी सभ्य ने अपनी
छिछली हँसी के साथ
मेरे कान में उछाला
मैंने सुना और अनसुना
और एक लंबी चुप्पी टाँगकर
उसके कंधे पर
धीरे से सरक गई।
लड़कियाँ भागती हैं
और लड़के चले जाते हैं
या भगा ले जाते हैं
किसी को
फ़र्क़ है बस इतना
एक के अंदर डर है
दूसरा निडर है।