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किसी बहाने सही दिल लहू तो होना है / मंजूर 'हाशमी'
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किसी बहाने सही दिल लहू तो होना है
इस इम्तिहाँ में मगर सुर्ख़-रू तो होना है
हमारे पास बशारत है सब्ज़ मौसम की
यक़ीं की फ़स्ल लगाएँ नुमू तो होना है
मैं उस के बारे में इतना ज़्यादा सोचता हूँ
के एक रोज़ उसे रू-ब-रू तो होना है
लहू-लुहान रहें हम के शाद काम रहें
शरीफ क़ाफ़िला-ए-रंग-ओ-बू तो होना है
कोई कहानी कोई रौशनी कोई सूरत
तुलू मेरे उफ़ुक़ से कभू तो होना है