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किसी भी चीज़ का अंत / अशेष श्रीवास्तव
Kavita Kosh से
किसी भी चीज़ का अंत
क्या सब कुछ अंत कर देता है...
हर अंत किसी नयी
शुरूवात को जन्म देता है...
एक अवस्था का अंत
दूसरी अवस्था की प्राप्ति देता है...
अंत का स्वागत करो
वह नये मार्ग प्रशस्त कर देता है...
घनघोर रात का अंत
सुबह को चमकता उजाला देता है...
एक क्षेत्र की सीमा का अंत
दूसरे क्षेत्र की शुरूवात देता है...
मिलन का अंत विछोह
विछोह का अंत मिलन देता है...
असज्जनों का मिलना दुख
और बिछड़ना सुख देता है...
सज्जनों का बिछड़ना दुख
और मिलना सुख देता है...
अभिमान का अंत बड़प्पन
इच्छाओं का अंत सच्चिदानंद देता है...
बड़े से बड़ा इंसान भी सीमित
सिर्फ भगवान ही अनंत देता है...
हर अंत क्या दुख ही देता है
हम जैसा उसे लें वह वैसा ही देता है...