Last modified on 10 मई 2009, at 13:48

किसे मालूम‚ चेहरे कितने / कमलेश भट्ट 'कमल'

किसे मालूम‚ चेहरे कितने आखिरकार रखता है

सियासतदाँ है वो‚ खुद में कई किरदार रखता है।


किसी भी साँचे में ढल जाएगा अपने ही मतलब से

नहीं उसका कोई आकार‚ हर आकार रखता है।


निहत्था देखने में है‚ बहुत उस्ताद है लेकिन

ज़ेहन में वो हमेशा ढेर सारे वार रखता है।


ज़मीं तक है नहीं पैरों के नीचे और दावा है

वो अपनी मुट्ठियों में बाँधकर संसार रखता है।


बचाने के लिए खुद को‚ डुबो सकता है दुनिया को

वो अपने साथ ही हरदम कई मझधार रखता है।