किस्सा ऊधम सिंह / रागनी 10 / रणवीर सिंह दहिया
वार्ताः हाल के अन्दर सभा हो रही थी। आमना सामना हुआ। आंखों में आंखें मिली। आंखों ही आंखों में कुछ कहा एक दूसरे को। मौका पाते ही ऊधम सिंह ने निशाना साध दिया। कवि ने क्या बताया भलाः
धांय-धांय धांय-धांय होई उड़ै दनादन गोली चाली थी॥
कांपग्या क्रैक्सटन हाल सब दरवाजे खिड़की हाली थी॥
पहली दो गोली दागी उस डायर की छाती के म्हां
मंच तै नीचै पड़ग्या ज्यान ना रही खुरापाती के म्हां
काढ़ी गोली हिम्माती के म्हां खतरे की बाजी टाली थी॥
लार्ड जैट कै लागी जाकै दूजी गोली दागी थी
लुई डेन हेन हुया घायल मेम ज्यान बचाकै भागी थी
चीख पुकार होण लागी थी सब कुर्सी होगी खाली थी॥
बीस बरस ग्यारा म्हीने मै जुलम का बदला तार लिया
तेरह मार्च चैबीस मैं माइकल ओ डायर मार दिया
अचम्भित कर संसार दिया उनै कोन्या मानी काली थी॥
जलियां आले बाग का बदला लिया लन्दन मैं जाकै
अंग्रेजां नै हुई भिड़ी धरती भाग लिये वे घबराकै
रणबीर नै कलम उठाकै नै झट चार कली ये घाली थी॥