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किस्सा ऊधम सिंह / रागनी 13 / रणवीर सिंह दहिया

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वार्ताः देश में आन्दोलन पहले चल रहा था। किसान मजदूर डाक्टर वकील सब देश के मुक्ति आन्दोलन में सक्रिय हो रहे थे। ऊधम सिंह की शहादत ने भारत वर्ष में तहलका मचा दिया। उसकी कुर्बानी के चरचे लोगों की जुबान पर थे। कवि ने क्या बताया भलाः

ऊधम सिंह मेरे ग्यान मैं, भारत देश की श्यान मैं
इस सारे विश्व महान मैं, यो तेरा नाम अमर हो गया॥
असूलां की जो चली लड़ाई, उसमैं खूब लड़या था तूं
स्याहमी अंग्रेजां के भाई, डटकै हुया खड़या था तूं
बबर शेर की मांद के म्हां, अकेला जा बड़या था तूं
अव्वल था तु ध्यान मैं, रस था तेरी जुबान मैं
सारे ही हिंदुस्तान मैं, यो तेरा पैगाम अमर हो गया॥
देख इरादा पक्का तुम्हारा, हो गया मैं निहाल जमा
भारत मां की सेवा में दे दिया सब धन माल जमा
एक बै मरकै देश की खातर जीवै हजारौ साल जमा
डायर नै सबक चखान मैं, इस लड़ाई के दौरान मैं
निशाना सही बिठान मैं, यो तेरा काम अमर होग्या॥
पक्के इरादे के साहमी अंग्रेजां की पार बसाई ना
जलियां आला बाग देखकै फेर तेरै हुई समाई ना
धार लई अपने मन मैं किसे और तै बताई ना
तू अपने इस इम्तिहान मैं, अपनी ही ज्यान खपान मैं
देश की आन बचान मैं, तू डेरा थाम अमर होग्या॥
जो लड़ी-लड़ाई तनै साथी वा लड़ाई थी असूला पै
वुर्बानी तेरी रंग ल्यावैगी जग थूकै ऊल जलूलां पै
जिस बाग का फूल हुया नाज करंै उसके फूलां पै
ईब आग्या सही पहचान मैं, भूले थे हम अनजान मैं
तूं सफल हुया मैदान मैं, यो तेरा सलाम अमर होग्या॥