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किस्सा ऊधम सिंह / रागनी 4 / रणवीर सिंह दहिया

वार्ताः ऊधम सिंह जलियां वाले बाग के घायलों की सेवा के लिए अस्पताल में जाता है। वहां उसकी एक नर्स से मुलाकात होती है। घायलों के मुुुंह से सुन-सुन कर उस नर्स के पास बहुत सी बाते थी। एक दिन वह नर्स ऊधम सिंह को जलियां वाले बाग के बारे में क्या बताती है भलाः

निशान काला जुलम कुढाला यो जलियां आला बाग हुया॥
अंग्रेज हकुमत के चेहरे पै घणा बड्डा काला दाग हुया॥
देश की आजादी की खातर बाग मैं तोड़ होग्या
इतिहास के अन्दर बाग एक खास मोड़ होग्या
देश खड़या एक औड़ होग्या जिब यो खूनी फाग हुया॥
इसतै पहलम बी देश भक्ति का था पूरा जोर हुया
मुठ्ठी भर थे क्रान्तिकारी सुधार वादियों का शोर हुया
दंग फिरंगी चोर हुया बुलन्द आजादी का राग हुया॥
शहरी बंगले गाम के कंगले सबको ही झकझोर दिया
कांप उठी मानवता सारी जुलम घणा महाघोर किया
एकता को कमजोर किया इसा फिरंगी जहरी नाग हुया॥
कुर्बानी दी उड़ै वीरों नै वा जावै कदे बी खाली ना
जिब जनता ले मार मंडासा फेर पार किसे की चाली ना
जीतों बैठैगी ठाली ना रणबीर सिंह चाहे निर्भाग हुया॥