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किस्सा ऊधम सिंह / रागनी 6 / रणवीर सिंह दहिया

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वार्ताः नर्स से बातचीत में ऊधम सिंह कहता है कि आजादी की लड़ाई तो हम नौजवान लड़ रहे है। महिलाओं को घर का मोर्चा सम्भालना चाहिये। महिलाओं की आजादी की जंग में हिस्सेदारी को लेकर काफी बहस होती है। जीतो ऊधम सिंह को इस बारे मंे क्या कहती है कवि के शब्दों मेंः

बिन म्हारी हिस्सेदारी के क्यूकर देश आजाद करावैगा॥,
करकै घरां मैं कैद हमनै किसा भारत नया बणावैगा॥
जनता नै सुथरा सा सपना देख्या भारत नया बणावै
आजाद होकै अपणी बगिया मैं लाल गुलाब खिलावै
गोल मटोल से बालक होंगे हांगा लाकै खूब पढ़ावै
इन्सानी जज्बा मरण लागरया सोचै कैसे उल्टा ल्यावै
औरत की जंजीर तोड़कै देश सही आजादी पावैगा॥
माणस हिंदू मुस्लिम होंगे ना इन्सान की जात मिलै
विश्वास कति खत्म हो लिया माणस करता घात मिलै
जीत कौर बरगी महिला का मुश्किल तनै साथ मिलै
महिला साथ लड़ी जड़ै उड़ै न्यारी ढाल की बात मिलै
जीत कौर का ना साथ लिया तै पीछे फेर तछतावैगा॥
शहीद होणा हम भी जाणैं तनै साची बात बताउं मैं
दिल म्हारे मैं जो तुफान उठ्या यो किसनै दिखाउं मैं
मुठ्ठी भर चाहो आजादी ल्याणा थारी कमी जत़ाउं मैं
महिला आधी भारत सै इनकी पूरी शिरकत चाहूं मैं
मेरी बात गांठ मार लिये बख्त मनै ठीक ठहरावैगा॥
म्हारी आजादी बिना इस आजादी का अधूरा सार रहै
मार काट मची रहवैगी यो नहीं सुखी घर बार रहै
मेरी बात गौर करिये कदे चढ़या योहे बुखार रहै
बेरा ना मेरी बात नै रणबीर सिंह क्यूंकर समझावैगा॥