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किस क़दर बे दर्द देखा उस परी पैकर का दिल / रतन पंडोरवी

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 किस क़दर बे दर्द देखा उस परी पैकर का दिल
नर्मो-नाज़ुक जिस्म वाले रखते हैं पत्थर का दिल

देखना तासीर मेरे नालए-शबगीर की
आसमां पर रात भर लरजां रहा अख़्तर का दिल

काश इतना सोच लेता दर्दे-दिल का चारागर
दर्द ही तो है फ़क़त के दे के सारे घर का दिल

जोशे-उल्फ़त का कमाले-बे-नियाज़ी देखिये
ख़ुद खिंचा आया मिरी जानिब मिरे दिलबर का दिल

जब कभी चलते हैं मयखाने से उठ के ऐ 'रतन'
खून रोता है हमारे हाल पर साग़र का दिल।