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किस किस से मूँ लड़ाइए, भगती के काल में / मृत्युंजय
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किस-किस से मूँ लड़ाइए, भगती के काल में ।
लाइन लगाए खीस काढ़े रहिए हाल में ।
जो बोलोगे फरमाएँगे बकता है कैसा कुफ़्र,
जाबा लगाए बैंक चलिए इन्तकाल में ।
भगतों की ज़िन्दगी बहुत रँगीन है इस वक़्त,
कुछ लाइनों में कट रही कुछ है बवाल में ।
हम सुर्ख़ सब्ज़ हो के चले मैकदे की ओर,
मय तक नहीं मिली, सखी ! आपातकाल में ।