भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

किस के ख़याल ने मुझे शोरीदा कर दिया / हनीफ़ तरीन

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

किस के ख़याल ने मुझे शोरीदा कर दिया
तन्हा-शबी को और भी संजीदा कर दिया

एहसास-ए-ना-रसाई की बंजरन ज़मीन को
किस के ख़याल-ए-सब्ज़ ने बालीदा कर दिया

कल हम ने तश्त-ए-बाम पे शब ख़ून मार कर
बिस्तर उचटती नींद का ख़्वाबीदा कर दिया

बीते ग़मों को आज तल्ख़ी में घोल कर
मुस्तक़बिल-ए-हयात को लग़्जीदा कर दिया

हर रोज़ की नई नई ईजाद ने ‘हनीफ़’
हरन मादन-ए-क़दीम को ज़ोलिदा कर दिया