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किस ने देखा चाँद / अज्ञेय

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किस ने देखा चाँद?-किस ने, जिसे न दीखा उस में क्रमश: विकसित
एकमात्र वह स्मित-मुख जो है अलग-अलग प्रत्येक के लिए
किन्तु अन्तत: है अभिन्न :
है अभिन्न, निष्कम्प, अनिर्वच, अनभिवद्य,
है युगातीत, एकाकी, एकमात्र?

दिल्ली, 1942