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किस पेड़ का है किस पात का है / रोशन लाल 'रौशन'
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किस पेड़ का है किस पात का है
इन्सान भला किस जात का है
दोनों दानव दोनों मानव
सारा झगड़ा अनुपात का है
दुल्हा-दुल्हन हैं मस्त-मगन
ये दुनिया घर बारात का है
साँसें ही गवाही देती हैं
सारा जीवन ख़ैरात का है
क़दमों में झुका है सिर मेरा
ये अवसर अन्तिम घात का है
अब सुभ नई है ग़ज़लों की
वो क़िस्सा पिछली रात का है