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किस बीज से कैसा शजर इस बार हो पैदा / रवि सिन्हा
Kavita Kosh से
किस बीज से कैसा शजर<ref>पेड़ (tree)</ref> इस बार हो पैदा
रिश्ते जहाँ बोवें वहीं दीवार हो पैदा
अपनों की दुनिया में ग़मो-अन्दोह<ref>दुःख और पीड़ा (grief and sorrow)</ref> की खेती
कुछ कर कि ग़ैरों में भी अब आज़ार<ref>बीमारी (disease)</ref> हो पैदा
तारीख़<ref>इतिहास (history)</ref> गर नासेह<ref>उपदेशक (preacher)</ref> है महफ़िल में जाहिल की
इमरोज़<ref>आज का दिन (today)</ref> में दीरोज़<ref>बीता हुआ कल (yesterday)</ref> की तलवार हो पैदा
मिट्टी में भी कुछ बात हो दहक़ाँ<ref>किसान (peasant)</ref> भी हो शातिर
जम्हूरियत में ज़ुल्म की सरकार हो पैदा
शब्दार्थ
<references/>