भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कि कहब हे सखि रातुक / विद्यापति

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कि कहब हे सखि रातुक बात।
मानक पइल कुबानिक हाथ।।
काच कंचन नहि जानय मूल।
गुंजा रतन करय समतूल।।
जे किछु कभु नहि कला रस जान।
नीर खीर दुहु करय समान।।
तन्हि सएँ कइसन पिरिति रसाल।
बानर-कंठ कि सोतिय माल।।
भनइ विद्यापति एह रस जान।
बानर-मुह कि सोभय पान।।