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कि होयबाक चाही आजुक हमर शब्द / दीप नारायण

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एगोट अजीब तरहक छटपटाहटि अछि
हमरा भीतर कय दिन सँ
स्वंय सँ अछि कय गोट सवाल
कि हयबाक चाही आजुक हमर शब्द ?

कि हमर कविताक विषय
हयबाक चाही ओ
जे अछि हमरा जनति अवर्णनीय
स्वयं अपन लेहु सँ लिख देलक अछि जे
देशक सिमान पर एगोट अंतहीन कविता
फेर शब्दकोश सँ कोन शब्द लाबि ताकि क' हम

मुदा, हम कहय चाहैत छी किछु शब्द,
एगोट मायक

नेनपन मे चोरा क' खयलहा माँटिक रिन सँ त'
उरिन भ' गेलहुँ अहाँ
मुदा, हमर कि?
जे नंगटे लेटायति नुका रहैत छलहुँ अंचारि मे
आ हम ओङ्हाय लगैत छलहुँ एगोट दोसर दुनियाँ मे
ई तीन रंगा चदरि ओढ़ि किए एलहुँ अंगना आइ
हमर अंचारि एखनो अहाँ लेल छोट नहि छल
जकर सुगबुगाहटि मात्र सँ
चेहा क' उठि जाइत छलहुँ हम
कतेक काल सँ करैत छी कौलति
उठि नै रहल छी अहाँ

जखन ई कहैत छैक कोनो माय

तखन थरथराय लगैत अछि हमर हाथ
एक-एक वाक्य गढ़बाक क्रम मे
ठमकि जाइत अछि हमर कलम आ
अगिला पाँति धरि जाइत-जाइत
छोड़ि दैत अछि शब्द हमर संग

आ फेर उमरैत अछि मोन मे बहुत रास प्रश्न
सिंधु आ झेलम नदी केर पानि किएक भ' गेल अछि ललोन
उज्जर दप-दप गाँती बन्हने प्रकृति
लगैत अछि मलीन
केसर आ गुलाबक कियारी मे
कोना उगय लागल बारूद
धरतीक स्वर्ग आइ शूल जेना गरैत अछि हृदय मे

उरी सँ पुलवामा धरि कतेक बदलल अछि देश
हम युद्ध त जीत गेलहुँ
कि जीत पेलहुँ आतंकवाद?
पाँच अक्षरक एकगोट शब्द ने जानि
लील लेलक कतेक जीवन

किछु लिखबाक मोन नहि क' रहल अछि आइ

गुनधुन्नी मे छी
ई जे उजड़लैक अछि कतेको घर
फुटलैक अछि बम-बारूद
बहलैक अछि लेहु
देशक हिफाजत लेल
आ कि

हरान करैत अछि ई सभ प्रश्न
तखन
हमरा होइत अछि
अपने देशप्रेम पर संदेह।