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कीं कर / मनोज पुरोहित ‘अनंत’
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					चावै 
हांस थूं 
भलांई मार हांफळा
बैठ ना 
बिगड़ ना 
भलांई बण ना। 
कीं तो कर 
पण डर ना 
ऊंची राख नस 
बस। 
	
	