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कीजिये सम्मान आया दिन दशहरे का / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'

कीजिये सम्मान आया दिन दशहरे का।
दीजिये कुछ दान आया दिन दशहरे का।

काम की शुरुआत करने का मुहूरत है,
ये अजीमुश्शान, आया दिन दशहरे का।

जानता हूँ आज अम्मा फिर बनायेंगी,
कुछ नये पकवान, आया दिन दशहरे का।

नब्ज की रफ़्तार को है दे रहे ताकत,
लहलहाते धान, आया दिन दशहरे का।

दुश्मनों से भी गले मिलिये मुहब्बत से,
फिर खिलायें पान, आया दिन दशहरे का।

अंत रावण का हुआ था आज ही के दिन,
राम का जयगान, आया दिन दशहरे का।

शान शौकत से करेगा शस्त्र की पूजा,
आज हिन्दुस्तान, आया दिन दशहरे का।