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कीन्नो / ॠतुप्रिया
Kavita Kosh से
डोर सूं
बंध्योड़ौ कीन्नौ
उडै आकासां
देखै सगळा
घणै गरब साथै
पण
कट्योड़ौ कीन्नौ
केठा कठै पड़ै
का पछै
लुटणआळा कर द्यै
उणनै तार-तार ।