की-की होय छै? / कस्तूरी झा ‘कोकिल’
नया साल में की-की होय छै बतलाबॅ भैया?
की ओकरा में रोटी मिलतै?
धोती लेल रुपैइया।
छप्पर केॅ छौनी होय जयतै,
मिलतै जरसी गैया।
दीदी केॅ शादी होय जैतै, नाचबै ता-ता थैया।
नया साल में की-की होय छै बतलाबॅ भैया?
की जाड़ा में कम्बल मिलतै?
मायके मिलतै साड़ी।
लालकार्ड हमरौ ह मिल जैते,
अलमुनियम बाला हाँड़ी।
बाबूजी केॅ अंगो मिलतै, रोज कमाय लेल नैया
नया साल में की-की होय छै बतलाबॅ भैया?
कीवै में ढिबरी नैं रहतै?
भक-भक करतै बिजली।
कादो वाला सड़क नैं रहतै,
पोखर मारबै मछली।
इस कुल जाय के मौका मिलतै, करबै हम्हूँ पढ़ैइया
नया साल में की-की होय छै बतलाबॅ भैया?
की मोटर साइकिल अबनैं चढ़थिन?
मुखिया जी हम्मर।
की सूमो, बेलेरो चढ़थिन?
हिलतन नहीं कमर।
की हुनका अब महल अटारी, भनसा लेल रसोइया?
नया साल में की-की होय छै बतलाबॅ भैया?
-मुक्त कथन, 26 जनवरी, 2008