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की जाणा मैं कोई / बुल्ले शाह

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की जाणा मैं कोई वे अड़िआ, की जाणा मैं कोई!
जे कोई अन्दर बोले चाले, जात असाडी सोई।
जिस दे नाल मैं नेहुँ लगाया, ओहो जेही होई।
की जाणा मैं कोई।

चिट्टी चादर लाह सुट्ट कुड़ीए, पहल फकीराँ दी लोई।
चिट्टी चादर नूँ दाग लग्गेगा, लोई नूँ दाग न कोई।
की जाणा मैं कोई।

अलफ पछाता बे पछाती, ते तलावत<ref>कुरान का पाठ</ref> होई।
सीन पछाता सीन पछाता, सादक<ref>सच्चा</ref> साबर होई।
की जाणा मैं कोई।

कू कू करदी कमरी आही, गल विच्च तौक<ref>गानी</ref> पिओई।
बस्स ना कदी कू कू कोलों, कू कू अन्दर मोई।
की जाणा मैं कोई।

जो कुझ करसी अल्ला भाणा, क्या कुझ करसी कोई।
जो कुझ लेख मत्थे दा लिखिआ, मैं उस ते शाकर होई।
की जाणा मैं कोई।

आशक बक्करी माशूक कसाई, मैं मैं करदी कोही<ref>कतल</ref>।
एयों ज्यों मैं मैं बहुता करदी, त्यों त्यों ही ओह मोई।
की जाणा मैं कोई।

मेहर करीं ते फज़ल<ref>मेहरबानी</ref> करीं तूँ, मैं आजिज़<ref>निर्धन</ref> दी ढोई।
नच्चण लग्गी ताँ घूँघट केहा, जद मुँह थों लत्थी लोई।
की जाणा मैं कोई।

भला होया असीं दूरों छुट्टे, नेड़े आन लधोई<ref>मिला</ref>।
बुल्ला सहु इनायत करके शोक शराब दितोई<ref>पीर का नाम</ref>
की जाणा मैं कोई।

शब्दार्थ
<references/>