की सखि, साजन? / भाग - 10 / दिनेश बाबा
91.
एन्हैं कमाय क धरलेॅ जाहोॅ
जना खदाहा भरलेॅ जाहोॅ
निकलै छै जी जान रो कीमा,
की सखि पेट?
नैं सखि, ‘बीमा’।
92.
कोट कचहरी दफ्तर रहथौं,
जे चाहो कागज पर कहथौं,
दस आैंगरी के जे छै फाइटर,
की सखि बॉक्सर?
नैं, टैपरायटर।
93.
भावुक मन में याद दिलाबै,
जे सावन के अंत में आबै,
झलकाबै जें प्रेम के झांकी,
की सखि झूलन?
नैं सखि, राखी।
94.
बड़ी याद जेकरोॅ आबै छै,
दिल छूवै मन कल्पाबै छै,
नाम सें जेकरोॅ निकलै हाय,
की सखि पत्नी?
नैं सखि, माय।
95.
फैलाबै जें सगर उजाला,
जेकरोॅ तेवर सबसें आला,
कुछ विरोध में होय छै फायर,
की सखि लेखक?
नैं सखि, शायर।
96.
प्रेमी जुगना गीत सुनाबै,
फूल, कली, चूमी बौराबै,
कृष्ण जकां लागै छै हमरा,
की सखि प्रेमी?
नैं सखि, भँमरा।
97.
बिक्री, अच्छी खासी होय छै,
एक्के दिन में बासी होय छै,
जोहै बाट सभें भिनसार,
की सखि सब्जी?
नैं, अखबार।
98.
खुद लटकै छै, टिक्की दैनें,
राखै हाथ, मतार लटकैनें,
बोझ उठाबै, आजू-बाजू,
की सखि बहंगी?
नहीं, तराजू।
99.
छै कत्ते नी, जेकरोॅ काम,
तैय्यो जाय छै बाबा धाम,
कुछ बरियों, कुछ होय छै पामर,
की सखि बम?
नैं सखि, कामर।
100.
कान्हा चढ़ी क जाय हरदम छै,
एक्के दिशा में बढ़ै कदम छै,
डरै कुकुर सें सारी डगरिया,
की सखि कामर?
नहीं, काँवरिया।