की सखि, साजन? / भाग - 17 / दिनेश बाबा
161.
जें कवित्त के सतक जमैलक,
मधुर गीत के ललक लगैलक,
बहै मंद जे सरित सलिल,
की सखि ‘मुरारी’?
नैं सखि, ‘अनिल’।
162.
सब क कॉट एण्ड बोल्ड करलकै,
एन्हों हिम्मत होल्ड करलकै,
उत्तम काम केॅ देलकै प्रश्रय,
की सखि ‘कमिश्नर’?
नैं, ‘डा. रामाश्रय’।
163.
मूल श्रृष्टि, मंदार बताबै,
भेल यहीं अवतार बताबै,
सब बातोॅ के करै मुनादी,
की सखि ‘ए.के. चौधरी’?
नैं, ‘ब्रह्मवादी’।
164.
धर्मप्राण, कवि, कथाकार छै,
मौसम मद में खबरदार छै,
बातोॅ में जिनको सम्मोहन,
की सखि ‘अनिल’?
नैं सखि, ‘सोहन’।
165.
कथा नहीं, कुंडली बनाबै,
‘बीमा’ आरू ‘बाग’ सजाबै,
बुतरू संग बजाबै वंशी,
की सखि ‘परमार’?
नैं, ‘सूर्यवंशी’।
166.
जिनगी भर दुःख सें जीलै, जे,
सदा गरल दुःख के पीलै, जे,
रहै छै दिल में जेकरो टीस,
की सखि ‘पतझड़’?
नहीं, ‘अतीस’।
167.
राजेन्दर यादव तक जानै,
जें ‘रिहन्द’ ‘दिल्ली’ तक फानै,
वाक-पटु मिलै, जहे-नशीब,
की सखि ‘साम्बे’?
नैं, ‘शिव कु. शिव’।
168.
कथाकार, नाटक लिखबैय्या,
यारो के भी यार छै भैय्या,
जबेॅ भी मिलथौ, पुछथौ हाल,
की सखि ‘शिव’?
नैं, ‘पी.एन. जैसवाल’।
169.
कोन विधा में, हुनी श्रेष्ठ छै,
कहै छै सब में, वही बेस्ट छै,
जानभौ सब, जब होतै शोध,
की सखि ‘बाबा’?
नैं, ‘आमोद’।
170.
कवि एक छै नवागढ़ी के,
लेकिन खूबे बढ़ी चढ़ी के,
काला सोना या कि सिलवर,
की ‘दि.कु. दिवाना’?
नै सखि, ‘दिलवर’।