भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

की सखि, साजन? / भाग - 19 / दिनेश बाबा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

181.

अंगिका उद्धार करलखिन,
अंग देश सें प्यार करलखिन,
बसलै दिल में बनी क माधव,
की सखि ‘कर्ण’?
नैं, ‘रामआश्रय यादव’।

182.

पिता, गीत रोॅ लीक कहाबै,
खुद, फिल्मी परतीक कहाबै,
छै महान के, दोनो लच्छन,
की ‘राजकपूर’?
नैं सखि, ‘बच्चन’।

183.

अंगिका से प्यार करलखिन,
मंथरौ के उद्धार करलखिन,
व्यंगकार भी रहौत सुखकर,
की सखि ‘बाबा’?
नैं सखि, ‘मधुकर’।

184.

पहलवान ‘भोथरीका’ नांकी,
व्यंगकार जे रहै पिनाकी,
चरित ‘मंथरा’ के उद्घाटक,
की सखि ‘बाबा’?
नैं, ‘जगदीश पाठक’।

185.

कथाकार आरू नाटककारोॅ,
बड़ा, वहू सें कुल गीतकारोॅ,
उमिर सें जादा जिनकर बोध,
की ‘डॉ. आर्य’?
नैं सखि, ‘आमोद’।

186.

कवियित्री आरू कथा लेखिका,
नारी मन के व्यथा लेखिका,
अंग लेली नग जुड़लोॅ हीरा,
की सखि ‘मृदुला’?
नैं सखि, ‘मीरा’।

187.

जैसें कोनो साज में जादू,
वही ना छै आवाज में जादू,
मन प्रेमी जैसन उद्भ्रान्त
की सखि ‘विजय मिश्र’?
नैं, ‘मणिकान्त’।

188.

कलाकार अंगिका के औगल,
सगरो जाय अंगिका ल दौगल,
खूब अंगिका ल बेकरारी,
की सखि ‘मीरा’?
नैं, ‘मीना तिवारी’।

189.

पूत छिकै गंगा कोखी के,
के राखतै होकरा रोकी के,
चललै अब दिल्ली के ओर,
की सखि ‘प्रलय’?
नैं ‘रामकिशोर’।

190.

कथाकार छै बड़ा विलक्षन,
खोजै होमियोपैथी लक्षन,
जेकर ‘शनिचरां’ करै कमाल,
की सखि ‘बाबा’?
नैं, ‘एम.पी. जैसवाल’।