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की सखि, साजन? / भाग - 23 / दिनेश बाबा

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221.

काम करी, उत्कोच कमाबै,
यही ना कागज, रोज बढ़ाबै,
खुले आम होय छै मनमानी,
की सखि दलाल?
नहीं, किरानी।

222.

कलिकाल के, वही छै राजा,
सगरो होकरे, बजै छै बाजा,
आश्वासन के बाँटे जंत्री,
की सखि पंडित?
नैं सखि, मंत्री।

223.

जेकरोॅ लेली कूद-फान छै,
उठबै सभ्भे आसमान छै,
पाँचे बच्छर लेॅ अलबत्ता,
की सखि वोट?
नैं सखि, सत्ता।

224.

बेर-बेर, हरदम हारैछै,
हाथ-पैर, तभियो मारै छै,
देखै विज्ञापन, अखबार,
की सखि लेखक?
नैं, बेरोजगार।

225.

काले जुगना, जेकरोॅ दूत,
जकड़ भी, होकरोॅ छै मजगूत,
करै जेना जिनगी रोॅ सैंसर,
की सखि टी.वी.?
नैं सखि, कैंसर।

226.

अनचोके पकड़ै छै जौनें,
मौते जुगना, जकड़ै जौनें,
बचिहो, सब छै फोरेन मेड्स,
की सखि ड्रिंक्स?
नैं सखि, ‘एड्स’।

227.

कामे जुगना, काम सें जुड़लोॅ,
फुरसत में, आराम सें जुड़लोॅ
उपयोगी छै, सुबहो-शाम,
की सखि कीर्त्तन?
नैं, व्यायाम।

228.

तासीरोॅ जेकरो मशहूर,
करै थकावट, मन के दूर,
यही छै साधक के पहिचान,
की सखि आसन?
नैं सखि, ध्यान।

229.

छै जेकरो तासीर अजूबा,
साधक केरो छै महबूबा,
वही आचमन, होकरे पान,
की सखि वर्जिश?
नैं सखि, ध्यान

230.

सुख, दुःख या अपमान के दर्पण,
अनुनय विनय या शान के दर्पण,
साफ लगै छै जिनकर बैन,
की सखि ‘मुखड़ा’?
नैं सखि, नैन।