की सखि, साजन? / भाग - 26 / दिनेश बाबा
251.
करै गुदगुदी, छाती चूमै,
गल्ला कपड़ी, हरदम झूमै,
कत्तोॅ बरजोॅ, सब बेकार,
की सखि साजन?
नैं सखि, ‘हार’।
252.
नैं लगना, न लगाना अच्छा,
नैं आना, नैं जाना अच्छा,
उठ या बैठ, करै बेचैन,
की सखि दिल?
नहीं सखि, नैन।
253.
जहाँ, सदा कुकुहारे होय छै,
लागै जना कि मारे होय छै,
हंगामा होय, जहाँ विशद,
की सखि कचहरी?
नैं सखि, संसद।
254.
छै, ताकत देखलाय के, जरिया,
भला संे जा या जोर जबरिया,
लूटल धन के लुटाबै थैली,
की सखि वोटिंग?
नैं सखि, रैली।
255.
धर्म प्राण अतीन्द्रीय साधक,
अंगिका भाषा आराधक,
जिनकर कमी केॅ नैं कोय पूर्त्ति,
की महर्षि मेहीं?
नैं, आनन्दमूर्त्ति।
256.
देह धरलखिन, जे सरंग में,
छथिन स्थापित, वही अंग में,
कुलदेवी जे छै जगधातु,
की सखि ‘मनसा;?
नैं, अंगधातृ।