की सखि, साजन? / भाग - 3 / दिनेश बाबा
21.
वर्षा-गरमी काम करै छै,
भर जाड़ा आराम करै छै,
लाठी देह सिर बड़का माथा,
की सखि मौरकोॅ?
नैं सखि, छाता।
22.
लेतें-लेतें देहोॅ टुटलै,
तभियो नैं केन्हौं क छुटलै,
लेल्हौ पर होय लै लौं आरू,
की सखि गाँजा?
नैं सखि, दारू।
23.
हार नथुनियाँ मंगल टीका,
जेकरा बिन शृंगार छै फीका,
काम जगाय करै मन घायल,
की सखि कंगन?
नैं सखि, ‘पायल’।
24.
महावीर रहै धरम पक्ष के,
पराक्रमी रहै एक लक्ष के,
शास्त्र बखानै छै पुरूषार्थ,
की सखि केशव?
नै सखि, पार्थ।
हरा-लाल करिया सन दीखै,
दाँतें काटै, मूहें चीखै,
जीभ, ठोर, तारू सुसुआय,
की सखि ओल?
नैं, मिरचाय।
उपजै छै धरती के अंदर,
क्षारयुक्त ललमूहाँ बंदर,
देखैं में लागै बेडौल,
की सखि बानर?
नैं सखि, ओल।
27.
आपनोॅ जिद पर साथ चलै छै,
कहलौ पर नैं कभी टलै छै,
छोड़ै साथ छै काँहीं काँहीं,
की सखि धर्म?
नैं, परछाहीं।
28.
पृथा कुक्षि के लाल छेलै उ,
दुश्मन लेली काल छेलै उ,
बलशाली भी रहै असीम,
की सखि अर्जुन?
नैं सखि, भीम।
29.
मार खाय बड्डी चिल्लाबै,
तैय्यो लोगें खूब डँगाबै,
काठ-चाम धर भीतर खोल,
की सखि सूअर?
नैं सखि, ढोल।
30.
जौनें रान्हीं करी खिलाय,
बड़ा घरोॅ में पैलो जाय,
जेकरा बिना हुए नै काज,
की सखि दाय?
नैं, महराज।