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की सखि, साजन? / भाग - 7 / दिनेश बाबा

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61.

चूमै, चाटै आ सहलाबै,
गोसा-गोसा अंग लगाबै,
मतर नै लागै कोय आरोप,
की सखि प्रेमी?
नैं सखि, ‘सोप’।

62.

चीज एक पर नाम अनेक,
उमिर बखानै जेकरा देख,
मान प्रतिष्ठा के छै मूल,
की सखि दाँत?
नैं सखि ‘चूल’।

63.

नारी के शृंगार के साधन,
काम-धनुष टंकार के साधन,
कहै चिह्न अहिवातक रूढ़ी,
की सखि कंगन?
नैं सखि, चूड़ी।

64.

रोजे बूनै, रोजे काटै,
लोर दुःखोॅ के रोजे बाँटै,
दूर बहुत छै, लागै पास,
की सखि मेघ?
नैं, आकास।

65.

जान लियेॅ, तन जानोॅ दै छै,
जे कौमी पहचानोॅ दै छै,
यही बिना पर मरलै कतना,
की सखि दाढ़ी?
नैं सखि, खतना।

66.

पाँच बरस में पद बदलै जें,
ऊँचा नीचा कद बदलै जें,
छै महत्व एक दिन ल दरजा,
की सखि सांसद?
नैं सखि, परजा।

67.

राज आरू जें बदलै राजा,
आबै खूब बजैनें बाजा,
पाँच बरस मिली खाव-पकाव,
की सखि सत्ता?
नहीं, चुनाव।

68.

रोजे साथ पिया संग आबै,
जे हरदम हुनका भरमाबै,
आदत जौनें करै खराब,
की सखि गणिका?
नहीं, शराब।

69.

मोल भाव कमलै नै कहियो,
धन के छै प्रतिमान अबहियो,
अशुभ छै जेकरा पाना, खोना,
की सखि गौरव?
नैं सखि, सोना।

70.

सच्चाई के मोहर राखै,
मतर कि झूठ फरेबे भाखै,
बहुरूपिया लागै जुग जेता,
की सखि प्लीडर?
नैं सखि, नेता।