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की सखि, साजन? / भाग - 8 / दिनेश बाबा

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71.

बड्डी तेज, चतुर, चालाक,
लंद-फंद में राखै धाक,
इधर-उधर करी कम्बै माल,
की सखि लीडर?
नहीं, दलाल।

72.

जौनें दीन-धरम बिकवाय,
जेकरा सें धन-दौलत जाय,
जे चरित्र क करै उघारू,
की सखि जुआ?
नैं सखि, दारू।

73.

नोंट छौं कत्ते, जानी लेथौं,
चतुराई सें, टानी लेथौं,
पीसै झूठ-सांच के मील,
की सखि चक्की?
नहीं, वकील।

74.

नोंट छौं कत्ते जानी लेथौं,
कलेॅ-कलेॅ, सब टानी लेथौं,
लम्बा जिनको चलै इलाज,
की सखि डाक्टर?
नैं, कविराज।

75.

आखिर वहूं इलाज करै छै,
पर हितकारी काज करै छै,
बड्डी करूवो होथौं फील,
की सखि डाक्टर?
नहीं, वकील।

76.

जें विवेक भी लै केॅ डूबै,
कभी नैं मन जेकरा सें ऊबै,
समय खियानत सूखै तारू,
की सखि भोग?
नैं सखि, दारू।

77.

कल, बल, छल के मंतर जानै,
परमारथ के बात बखानै,
लागै एक वही जुग जेता,
की सखि पंडित?
नैं सखि, नेता।

78.

रोज सबेरे आबै छै जे,
बाटे-बाट बिकाबै छै जे,
खबर-नवीसी के सहचार,
की सखि शब्जी?
नैं, अखबार।

79.

सीधा सुविधा जनक छै सबसें,
पता नैं लोगें खाय छै कबसें,
नै बनबै नैं खाय में धोखा,
की सखि चटनी?
नैं सखि, चोखा।

80.

बिन जेकरो कोय रस्म हुए छै,
यही में सब कुछ भस्म हुए छै,
ठार में प्रेमी, गरम में नागिन,
की सखि चूल्हा?
नैं सखि, आगिन।