की सखि, साजन? / भाग - 9 / दिनेश बाबा
81.
छै बल्हौं गल्ला के फाँसी,
कुछ क देखी लगै छै हाँसी,
फैशनवश जे पिन्हलोॅ जाय,
की सखि गहना?
नैं सखि, टाय।
82.
जे भोजन के स्वाद बढ़ाबै,
जे देखी सब लार चुआबै,
घी, पापड़ रं साथी-यार,
की सखि चटनी?
नहीं, अँचार।
83.
नव-जीवन रोॅ मूल छिकै ई,
कहै छै कुछ कि भूल छिकै ई,
कभी वाह, कभी लानै आह,
की सखि प्रेम?
नहीं, बियाह।
84.
साल में आबै रस बरसाबै,
सौंसे जगती केॅ सरसाबै,
लानै खुशी बनै सब बात,
की सखि मेघ?
नैं, बरसात।
85.
सबसें उत्तम काम छै सेवा,
लौकिक सुखोॅ के जें दै मेवा,
घर-संसार क दिये भरी,
की सखि नौकरी?
नैं, लीडरी।
86.
जानोॅ लैॅ आरू जान बचाबै,
सब कुछ स्वाहा यहीं बनाबै,
विविध रूप में करै करिश्मा,
की सखि भोजन?
नैं सखि, उस्मा।
87.
तारै भी छै, मारै भी छै,
सब्भे कुछ संघारै भी छै,
रूप डँसौना, जैसें नागिन,
की सखि जहर?
नैं सखि, आगिन।
88.
हाथ पड़ै, खुशियाली लानै,
महिना भरी दिवाली लानै,
पाबै खुशी कहै सब आहा,
की सखि चिट्ठी?
नैं, दरमाहा।
89.
देश भरी के साख छिकै जे,
दण्डित करै के चाक छिकै जे,
जे नैं जानैं मीत मिताई,
की सखि पुलिस?
नैं, सी.बी.आई.।
90.
खारोॅ जल के, छै पैदाईस,
जे लौकै छै, भेरी नाईस,
लघु रूप में चान के जोती,
की सखि सितुआ?
नैं सखि, मोती।