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कुंज पधारो रंग-भरी रैन / रसिक बिहारी

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कुंज पधारो रंग-भरी रैन॥
रंग भरा दुलहिन रग भरे पीया स्यामसुंदर सुख दैन॥
रंग-भरी सेज रचो जहाँ सुन्दर रंग-भरयो उलहत मैन।
 'रसिकबिहारी' प्यारी मिलि दोउ करौ रंग सुख-चैन॥