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कुंभक अनुभव / आभा झा

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विश्व प्रसिद्ध सनातन संस्कृति
प्रयागराज तीर्थ स्थान,
लोहपथगामिनीक कृपा सँ
संगम हेतु कएल प्रस्थान।

राज्य प्रशासन केर सहयोगे
पहुँचल सहजहि गंगा कात,
रंग विरंगक नाव खेबैया
लऽ कऽ चलल त्रिवेणी घाट।

झुंडक झुंड पथिक सभ देखल
सबहक छल एक्कहि उद्येश्य
एकताक बंधन में बान्हल
नहि छल किनको वर्ग विशेष

परम मनोहर दृश्य लगै छल
कल कल ध्वनि संग छलकथि गंग
बालक वृद्ध जुआनक उर सँ
उछलि रहल छल सुखक उमंग।

कय स्नान सभक मन हर्षित
सबहक ठेही गेलन्हि हेराय,
तन मन पावन पुलकित लागय
पापक मोटरी देलन्हि दहाय।

छल अथाह सागर सम जमघट
पुलिस प्रशासन सेहो दुरूस्त,
ठाँम ठाँम स्वच्छता व्यवस्था
सब छल कर्मठ नहि क्यो सुस्त।

पट कुटीर के नगर बसाओल
आधुनिक सुख सुविधा पूर,
भाँति भाँति केर सुमन सुशोभित
अह्लादित कएलक भरपूर।

दुइ दिवसक ओ वास मनोहर
रातुक सुषमा लागल भव्य,
चकमकाइत छल चलचित्रे सन
देखल संध्या वंदन दिव्य।

कतौ नगारा, ढोल मजीरा
कतौ बजै मिरदंग बेजोड़,
कतौ संत सत्संग सुनाबथि
मनमंदिर मचबय हिलकोर।

कतौ कोनो जौँ त्रूटि देखाओल
सरकारक नहि मानल दोष,
मरल विवेक मनुक्खक बूझल
स्वार्थसिद्ध कऽ होथि बेहोश।

चाचा नेहरूक जन्म स्थल
आनंदभवन हम जाय देखल,
स्मृतिचिन्ह सकल परिवारक
भावुक भऽ हम अवलोकल।

वीर चंद्र शेखर सन के सुत
देलनि ओतय अप्पन वलिदान
अमर बनल कर्तव्य हुनक
ओहने सपूत सँ देश महान।

कते कहब ओहि माटिक महिमा
अल्पज्ञान सँ कयल बखान,
कण कण में देवत्वक अनुभव
हमर धरा छथि स्वर्ग समान।