कुछ अंत है, कही अनंत है / संजय तिवारी
माघ की महारात
अद्भुत सौगात
शिव से शिव का संवाद
अनहद नाद
पिंड से ब्रह्माण्ड तक
ब्रह्माण्ड से पिंड तक
विष का शमन
ऊर्जा का ऊर्ध्वगमन
महा शिव रात्रि
कोई त्यौहार नहीं है
केवल किसी उपासना का
आधार नहीं है
इस विज्ञान से भी बड़ा महा विज्ञान है
पिंड में जीवन का एक मात्र संज्ञान है
शिव की शक्ति
शक्ति का शिव
किसी की भक्ति
किसी का इव
सृजन का आधार
संस्कृति का आभार
प्रकृति का उद्धार
अप्रकृति का संहार
यह मृत्यु का जीवन है,
अमृत का सागर है
निशानिमन्त्रण है,
आत्म नियंत्रण है
विष है, सुधा है
तृप्ति है, क्षुधा है
आग्रह है, अबीर है
सुख है, पीर है
कुछ अंत है, कही अनंत है
वही शिव है, वही संत है।
अबकी फिर आयी है
शिव की रात
मन से देखें
प्रकृति की बरात
इस माघ की महानिशा
बदलेगी दिशा
उर्ध्वगामी ऊर्जा का प्रवाह
संभावनाएं अथाह
सुख की मात्रा
महादेव की महायात्रा
सती की आह
गंगा का प्रवाह
बिल्वपत्र से पलाश तक
धरती से कैलाश तक
ज्योतिर्पीठो के लिंग
हिमग्राम का आत्मलिंग
परमाणु से परमाणु तक
महकाया से विषाणु तक
संध्या से प्रभा तक
क्लांति से आभा तक
अर्चना
आराधना
उपासना
साधना
पूजा
वंदना
स्तुति
अर्घ्य
हवन
और आरती
अद्भुत है भारती
पृश्नि ब्रह्माण्ड में
जम्बू द्वीप में
आर्यावर्त की
यही तो शक्ति है
संहार से पूर्व
सृजन
पोषण और संवेदना में
जो समायी है
यही शिवभक्ति है।