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कुछ अलग ही यहाँ मेरी पहचान है / कैलाश झा 'किंकर'
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कुछ अलग ही यहाँ मेरी पहचान है
खूब मिलता मुझे मान-सम्मान है।
मेरी नज़रों में कोई पराया नहीं
सब हैं मेरे सभी में मेरी जान है।
हर तरह के सुमन से है माला बनी
एकता है तो लब पर मधुर गान है।
आज ओले पड़े इस क़दर हैं यहाँ
रो रहा चारसू खेत-खलिहान है।
जीत से हार से मुझको मतलब नहीं
सिर्फ करना मुझे अपना मतदान है।