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कुछ ऐसा साथी मेरा इतिहास है / कृष्ण मुरारी पहारिया
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कुछ ऐसा साथी मेरा इतिहास है
दुख का सारा वैभव मेरे पास है
मुझको जो भी मिला ख़ुशी से ले लिया
इसीलिए तो मेरा कोष अपार है
इतराते हो तुम छोटी-सी जीत पर
देखो कितनी लम्बी मेरी हार है
फिर भी अपराजित मन का विश्वास है
हर अभाव में मुझको रंगीनी मिली
इसीलिए तो अब तक मुसकाता रहा
जैसा भी दुख-सुख भोगा है आज तक
एकाकी भी, अविरत मैं गाता रहा
मेरा जीवन ही गहरा परिहास है
06.06.1962