कुछ कही-कुछ अनकही-4 / महेश चंद्र पुनेठा
घर से भाग गई दो बच्चों की माँ
अपने प्रेमी के संग
कस्बे भर में फैल गई है यह चर्चा
जंगल की आग की तरह
चर्चा में अपनी-अपनी तरह से
उपस्थित हो रहे हैं लोग
जहाँ भी मिलते हैं
दो-चार
किसी न किसी बहाने
शुरू हो जाते हैं
फिर ही...ही...ही ...खी....खी...खी....।
एक मत हैं सभी
महिला के ऐसी -वैसी होने पर ।
सभी की सहानुभूति है
उसके पति और परिवार के साथ
बच्चों के साथ सहानुभूति तो
स्वाभाविक है ।
महिला को कोई छिनाल
कोई कुलटा
कोई कुलच्छनी
कोई पत्थर कह रहा है
किसी को आपत्ति है कि
ऊँची जाति के होते हुए भी साली
भागी एक छोटी जाति के पुरूष के साथ ।
मिर्च-मसाले के साथ
दो नई सुनी-सुनाई बातें जोड़कर
अख़बार वालों ने भी छाप दी है ख़बर
इस तरह चर्चा पहुँच गई है
दूर-दूर तक ।
चर्चा में सब कुछ है
जो-जो हो सकता है एक स्त्री के बारे में
पर आश्चर्य
कहीं नहीं है कोई भी चर्चा
उन कारणों की
जिनके चलते
लेना पड़ा होगा
दो बच्चों की माँ को
घर छोड़ने का यह कठिन फ़ैसला ।