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कुछ गैर-फ़ौजी बयान-1 / दुन्या मिखाईल
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1
जादू की एक छड़ी का सपना देखती हूँ मैं
जो मेरे चुम्बनों को बदल दे सितारों में.
रात में आप देख सकें उन्हें
और जान जाएं कि असंख्य हैं वे.
2
उन सभी को शुक्रिया, जिनसे प्रेम नहीं मुझे.
वे मेरे दुःख का कारण नहीं बनते ;
वे मुझसे नहीं लिखवाते लम्बे-लम्बे ख़त ;
वे नहीं परेशान करते मेरे ख़्वाबों को.
मैं उनका इंतज़ार नहीं करती बेचैनी से ;
नहीं पढ़ती पत्रिकाओं में उनका राशिफल ;
नहीं मिलाती उनके नंबर ;
मैं नहीं सोचती उनके बारे में.
बहुत शुक्रगुजार हूँ उन सबकी.
वे उलट-पुलट नहीं देते मेरी ज़िंदगी.
3
एक दरवाज़ा चित्रित किया मैनें
उसके पीछे बैठने के लिए,
दरवाज़ा खोलने के वास्ते तैयार
जैसे ही तुम आओ.
अनुवाद : मनोज पटेल