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कुछ तल्ख़ हवाओं से गुजारिश / हरकीरत हकीर

जब भी
छूती हूँ
रौशनी के रंग

कुछ खंडहर हुए
उदासी के रंग
साथ हो लेते हैं....

अय तल्ख़ हवाओ!
अबके....
गुज़र जाना जरा
किनारे से....