भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कुछ दिल ने कहा, कुछ भी नहीं / कैफ़ी आज़मी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कुछ दिल ने कहा, कुछ भी नहीं, कुछ दिल ने सुना, कुछ भी नहीं
ऐसी भी बातें होती हैं, ऐसी भी बातें होती हैं...

लेता है दिल अंगड़ाई, इस दिल को समझाए कोई
अरमान न आँखें खोल दें, रुस्वा न हो जाए कोई
पलकों की ठण्डी सेज पर सपनों की परियाँ सोती हैं
ऐसी भी बातें होती हैं, ऐसी भी बातें होती हैं...

दिल की तसल्ली के लिए झूठी चमक, झूठा निखार
जीवन तो सूना ही रहा, सब समझे आई है बहार
कलियों से कोई पूछता, हँसती हैं वो न रोती हैं
ऐसी भी बातें होती हैं, ऐसी भी बातें होती हैं...
 

फ़िल्म : अनुपमा-1966