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कुछ दोस्तों को हमने निभाया बहुत दिनों / नवाज़ देवबंदी

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कुछ दोस्तों को हमने निभाया बहुत दिनों
घाटे का कारोबार चलाया बहुत दिनों

हर एक सितम पे दाद दी हर जख्म पे दुआ
हमने भी दुश्मनों को सताया बहुत दिनों

तुझसे से बिछर कर तेरी कसम हम खुस नहीं रहे
दुनिया तो क्या है खुद से भी हम खुश नहीं रहे

दुश्मन हमारी हार पर खुश थे मियां
लेकिन हमारे दोस्त भी कम खुश नहीं रहे