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कुछ नया काम कर रही हूँ मैं / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
कुछ नया काम कर रही हूँ मैं
नित नयी राह पर रही हूँ मैं
उस ने इल्ज़ाम तो दिया ही नही
क्यों बिना बात डर रही हूं मैं
खत्म होता कहीं नहीं है जो
एक अंधा सफ़र रही हूँ मैं
जिस पे कोई कभी नहीं चलता
बस वही रहगुज़र रही हूँ मैं
तेरे वादे तो टूटते ही रहे
आज खुद से मुकर रही हूँ मैं
जिस पे आती कभी बहार नहीं
वो अकेला शज़र रही हूँ मैं
रोज़ थी ढूँढती अना अपनी
आज खुद में उतर रही हूँ मैं