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कुछ नहीं चाहिए / विलिमीर ख़्लेबनिकफ़ / वरयाम सिंह

कुछ नहीं चाहिए !

बस, टुकड़ा-भर रोटी
बूँद-भर दूध

यह आकाश
और ये बादल !


मूल रूसी भाषा से अनुवाद : वरयाम सिंह