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कुछ न कह कर भी सब कहा मुझसे / देवी नांगरानी

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कुछ न कह कर भी सब कहा मुझसे
जाने क्या था उसे गिला मुझसे

देखकर भी किया था अनदेखा
वो सरे-राह जो मिला मुझसे

जो भरोसे को मेरे छलता है
वो ही उम्मीद रख रहा मुझसे

क्या लकीरों की कोई साज़िश थी
रख रही हैं तुझे जुदा मुझसे

ख़ुद तो ढाता है वो जफ़ा मुझपर
चाहता फिर भी है वफ़ा मुझसे

चंद साँसों की देके मुहलत यूँ
ज़िंदगी चाहती है क्या मुझसे

कितनी ज़ालिम थी ख़ामुशी ‘देवी’
एक पत्थर गई मिला मुझसे.

ख़ामुशी देवी क्या है ये जाना
शख़्स पत्थर सा जो मिला मुझसे

ख़ामुशी ‘देवी’ कितनी ज़ालिम थी
पत्थरों को गई मिला मुझसे