कुछ पन्ने रिश्तों के / लता सिन्हा ‘ज्योतिर्मय’
कुछ अश्रु बूँद के चिन्ह मिले
जीवन पृष्ठों पर गिरा हुआ
कुछ रिश्तों के पन्ने मोड़ दिए
कुछ पन्नों का रंग उड़ा हुआ।
नहीं भेद बताया मन मेरा
कई मर्म मुड़े पन्नों में छिपे
कुछ तो फटकर खुद बिखर गए
कुछ फटकर भी हैं जुड़ा हुआ
कुछ पन्नों का रंग उड़ा हुआ।
शीर्षक के कुछ अक्षर खोये
कुछ कोर पन्नों के जीर्ण हुए
कुछ एक अंक तो हैं अंकित
यूँ लाल रंग से घिरा हुआ
कुछ पन्नों का रंग उड़ा हुआ।
एक पन्ने पर आकर ठिठके
कुछ रक्त बूँद के धुंध दिखे
उन पिछले पलटे पन्नों में
अबतक गुलाब था पड़ा हुआ
कुछ पन्नों का रंग उड़ा हुआ।
जो अब भी शेष सुरक्षित थे
पुस्तक के अंतिम जिल्द लिए
जीवन-वृतांत तो मेरे थे
एक पन्ना कोरा पड़ा हुआ
कुछ पन्नों का रंग उड़ा हुआ।
आवरण पृष्ठ तस्वीर छपी
तरु लता मध्य आबद्ध मिली
लेकिन ग्रंथ के मूल्यों पर
कई स्याह रंग था गिरा हुआ
कुछ पन्नों का रंग उड़ा हुआ