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कुछ फूल जो बहार में खिलते कभी नहीं / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
कुछ फूल जो बहार में खिलते कभी नहीं
हैं लोग जो जज़्बात में बहते कभी नहीं
चीरा न वक्त पर तो जहरबाद बन गया
ये दाग़ हैं जो जिस्म से मिटते कभी नहीं
हमदर्द हमारे भी हैं हिन्दोस्तान में
ये बात और साथ वह देते कभी नहीं
खुशबू भरा चमन हो यहाँ फूल भी खिलें
हम लोग दुश्मनों से तो डरते कभी नहीं
बलिदान हो रहे जो मातृभूमि के लिये
हो जाते अमर लोग वह मरते कभी नहीं