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कुछ ब्राहमण पाखंडी देखे तीर्थ पै करैं कमाई / मेहर सिंह

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क्यूकर आवै सबर मेरै चालण की सुरती लाई
कुछ ब्राहमण पाखंडी देखे तीर्थ पै करैं कमाई।टेक

मन की ममता चित की चिन्ता ना मिटै तीर्थ न्हाए तै
महंत पुजारी बरत कै देखे ना संकट कटै बंडाए तै
ये झूठी शान बणाए तै ना होती कदे बड़ाई।

करणी का डंड पड़ै भोगना कुछ टुटी कै बुटी कोन्या
जितना सांस दिया मालिक ने आगे की छुट्टी कोन्या
या मेरी बात झूठी कोन्या पर नहीं मानते भाई।

विश्व मोहिनी नै ब्याहवण खातर नारद जी का मन बणग्या
भरी सभा में हाथ पकड़ लिया कामदेव तीर तणग्या
उस का बंदर आला मुंह बणग्या हुई जग में लोग हंसाई

काली चरण ईब नहीं ठिकाणा चल शहजादी धोरै
मेहर सिंह सतगुरु बिना चेला रहज्या कालर कोरै
या तृष्णा पापण चित नै चोरै ना मिली कीतै दवाई।