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कुछ भी नहीं होता / चन्द्रकान्त देवताले
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मैं क्षण की जड़ों में उलझकर
गिर पड़ा
- मेरे मुँह के शब्द
- निःशब्द सड़क पर फिंका गये
- मेरे मुँह के शब्द
मेरी मुट्ठियों के इरादे
- पिघलते डामर पर छपकर
- रह गये
- रह गये
- पिघलते डामर पर छपकर
कुछ नहीं हुआ
आत्मग्लानि के पिंजरे में
अपमानित छटपटाता बाघ
- कुछ भी नहीं कहता--
- कुछ भी नहीं कहता--
मृत्यु पर
- कोमल या कठोर टिप्पणियाँ
- कोमल या कठोर टिप्पणियाँ
इस सबसे कुछ भी नहीं होता